Foreign Degrees In India: विदेशों के संस्थान इंडिया में आकर अपने कैंपस खोल सकते हैं और जो� विद्यार्थी विदेश में जाकर पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, वे यहां से पढ़ाई कर डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए यूजीसी ने काफी समय पहले ही गाइडलाइंस जारी की थी और उस गाइडलाइंस द्वारा साफ किया था कि किस आधार पर विदेशी यूनिवर्सिटीज इंडिया में कैंपस खोल सकती हैं। यह गाइडलाइन, हायर एजुकेशन के इंटरनेशनलाइजेशन पर यूजीसी द्वारा साल 2021 में जारी की गई थी, जिसमें कई शर्तों को शामिल किया गया।�
Foreign Degrees In India: गाइडलाइन पर उठ रहे सवाल�
रिपोर्ट के अनुसार, बहुत से एजुकेटर्स का ये कहना है कि क्या फॉरेन यूनिवर्सिटीज द्वारा ऑफर की जा रही डिग्रियां यूजीसी स्वीकार कर लेगा। इनके द्वारा दी जा रही डिग्री और इंडियन इंस्टीट्यूट्स द्वारा दी जा रही डिग्री क्या एक समान मानी जाएगी।�
Foreign Degrees In India के लिए नियम�
बता दें कि साल 2021 में यूजीसी ने रेगुलेशन निकाला था, जिसके तहत फॉरेन यूनिवर्सिटीज को इंडियन हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के साथ कई तरह के कोर्स लिए कोलैबोरेट करने के लिए छूट दी गई थी। ये ट्विनिंग ज्वाइंट, ड्यूल डिग्री प्रोग्राम को शामिल किया गया। इस गाइडलाइन में ये भी कहा गया था कि यहां से मिलने वाली डिग्री इंडियन इंस्टीट्यूट्स में मिलने वाली डिग्री के बिल्कुल समान मानी जाएगी। यहां से कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को हायर एजुकेशन और इंप्लॉयमेंट में बराबरी का हक दिया जाएगा। जैसा कि इंडियन इंस्टीट्यूट्स से पढ़ाई करने वाले कैंडिडेट को दिया जाता है।��
Foreign Degrees In India के नए अपडेट�
कुछ समय पहले यूजीसी ने रेगुलेशन जारी करके सारी चीजें साफ की हैं। 8 नवंबर, 2023 को जारी किए गए आदेश में कहा गया कि इंडियन हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स से मिलने वाली डिग्री और फॉरेन यूनिवर्सिटीज के डिग्रियों में किसी प्रकार का अंतर नहीं होगा। न इन्हें समानता के लिए कोई मानक पूरा करना होगा और न ही किसी प्रकार के प्राधिकार की आवश्यकता होगी।��
वहीं, कुछ जगहों पर एजुकेटर्स ये सवाल भी उठा रहे हैं कि जब इस तरह का कोई प्रोविजन यूजीसी एक्ट के तहत नहीं आता, तो ये रेगुलेशन कैसे जारी किया जा सकता है। यूजीसी एक्ट 1956 में ये कहा गया है कि केवल वही संस्थान डिग्री दे सकते है। जिनका गठन राज्य विधानमंडलों या संसद द्वारा किया गया है या जिन्हें विश्वविद्यालय माना गया है।�
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