BJP History: महाराष्ट्र (Maharashtra) के नागपुर यूनिवर्सिटी (Nagpur University) ने एक अनोखा फैसला लिया है, जिसने सियासत गरमा दी है। यूनिवर्सिटी ने 30 अगस्त को एक फैसला जारी करते हुए कहा कि अब से नागपुर यूनिवर्सिटी में बीजेपी के इतिहास (History of BJP) को पढ़ाया जाएगा। इससे पक्ष-विपक्ष ने एक दूसरे पर तंज कसना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि नागपुर यूनिवर्सिटी में एमए के सिलेबस में बदलाव को लेकर विवाद छिड़ गया है। बता दें कि इससे पहले भी साल 2019 में यूनिवर्सिटी में सिलेबस में बदलाव को लेकर विवाद छिड़ गया था, जब बीए के इतिहास की सिलेबस में आरएसएस को शामिल किया गया था।
'सीपीआई अब राष्ट्रीय पार्टी नहीं रही'
दरअसल नागपुर यूनिवर्सिटी ने एमए के इतिहास की सिलेबस में बदलाव करते हुए सीपीआई (CPI) की जगह भाजपा के इतिहास को पढ़ाने का फैसला किया है। इसके बाद से ही विवाद शुरू हो गया है। नई सिलेबस को जारी करने वाली समिति में शामिल श्याम कोरेटी (Shyam Koreti) ने कहा कि सीपीआई को सिलेबस से बाहर कर कोई गलत नहीं किया है, क्योंकि ये अब राष्ट्रीय पार्टी नहीं रही है, दूसरी ओर भाजपा का विस्तार लगातार दिन दूनी रात चौगुनी हो रहा है।
राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद भाजपा का हुआ विस्तार
यूनिवर्सिटी प्रशासन (University Administration) का कहना है कि नए सिलेबस का मकसद भाजपा की कामकाज की प्रणाली, इतिहास और स्थापना को बताना ही एकमात्र उद्देश्य है। उन्होंने ये भी कहा की हमने भाजपा के मात्र 2010 तक के इतिहास को ही शामिल किया है। सूत्रों के मुताबिक राम जन्मभूमि आंदोलन (Ram Janmabhoomi Movement) से संबंधित एक अध्याय रखा गया है, इस अध्याय का शीर्षक है '1980 से 2000 तक के भारतीय जन आंदोलन' इसी चैप्टर में राम जन्मभूमि से संबंधित आंदोलन पढ़ाया जाएगा। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसके पीछे तर्क दिया है कि भाजपा पार्टी का उत्थान राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद तेजी से हुआ है। विपक्ष ने इसको लेकर पलटवार कर दिया है और कहा कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है।
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