मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मेडिकल की पढ़ाई (Medical Studies) की हिंदी (Hindi) भाषा में शुरुआत होने के बाद अब मराठी (Marathi) में भी मेडिकल पढ़ाई करवाई जाएगी। महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने इस बात का एलान किया है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि वह अगले साल से मराठी भाषा में मेडिकल एजुकेशन की शुरुआत कर देगी। सरकार का कहना है कि इस फैसले से गैर-अंग्रेजी भाषा वाले छात्रों की डिग्री लेवल तक के प्रोग्रामों में पहुंच बढ़ेगी। राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री (Medical Education Minister) गिरीश महाजन (Girish Mahajan) का कहना है कि मेडिकल की पढ़ाई के सिलेबस को मराठी भाषा में उपलब्ध कराने के फैसले से महाराष्ट्र राज्य के ग्रामीण इलाकों के स्टूडेंट्स को काफी मदद मिलेगी।
UP और MP पहले ही कर चुके हैं शुरुआत
महाराष्ट्र सरकार ने ये फैसला ऐसे समय पर लिया है, जब मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकार पहले ही इस बारे में ऐलान कर चुकी हैं। दोनों ही राज्यों की सरकारें एलान कर चुकी हैं, उनके यहां MBBS की पढाई अब उनके यहां अब हिंदी भाषा में करवाई जाएगी। मध्य प्रदेश ने तो हिंदी भाषा में MBBS की किताबें लांच कर दी हैं। महाराष्ट्र के चिकित्सा मंत्री गिरीश महाजन कहना है कि महाराष्ट्र अब इन राज्यों से भी एक कदम आगे निकल गया है। उनका कहना है कि महाराष्ट्र में सिर्फ MBBS ही नहीं बल्कि होम्योपैथी (Homeopathy), आयुर्वेदिक (Ayurvedic), नर्सिंग (Nursing) और दंत चिकित्सा (Dental Care) सहित मेडिकल प्रैक्टिस की अन्य स्ट्रीम की पढ़ाई भी मराठी में करवाई जाएगी।
मराठी भाषी छात्रों को मिलेगी मदद
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाजन ने बताया कि सरकार ने मेडिकल की पढाई मराठी में करवाए जाने और इस संबंध में उठाए जाने वाले दूसरों कदमों की स्टडी करने के लिए कई कमेटियों का गठन किया है। उनका कहना है कि जिन छात्रों ने मराठी मीडियम से पढाई की है, उन्हें अंग्रेजी में मेडिकल की पढ़ाई करने में काफी दिक्कत होती थी। मराठी सिलेबस से ऐसे स्टूडेंट्स को काफी मदद मिलेगी। सूत्रों के अनुसार पिछले महीने हुई राज्य कैबिनेट की मीटिंग में इस फैसले पर चर्चा हुई थी। सिलेबस में बदलाव करने के लिए बोर्ड बनाने का फैसला पहले ही हो चुका है। बोर्ड में अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स भी शामिल होंगे।
फैसले से दो हिस्सों में बंटी महारष्ट्र की मेडिकल बिरादरी
सरकार के इस फैसले से महाराष्ट्र की मेडिकल बिरादरी के लोग दो धडों में बंट गए हैं। फैसले का समर्थन करने वालों का कहना है कि इस फैसले से डॉक्टरों को मरीजों की स्तिथि बेहतर ढंग से समझने में काफी मदद मिलेगी। डॉक्टर मराठी भाषा में मरीजों द्वारा बताए गए लक्षणों को आसानी से समझ पाएंगे। फैसले का विरोध करने वालों का मानना है कि मेडिकल की पढ़ाई मराठी में करने से डॉक्टर्स सिर्फ महाराष्ट्र या ज्यादा से ज्यादा भारत तक ही सीमित रह जाएंगे। ऐसे लोगों का मानना है कि मेडिकल जैसे साइंटिफिक विषय के सिलेबस को ग्लोबल स्टैंडर्ड और रिसर्च के अनुसार रखने की जरूरत है। इसके अलावा टीचर्स को मराठी में पढ़ाने में लायक बनाने में काफी समय लगेगा।
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