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Success Story: सुहास एलवाई कड़ी मेहनत से बने IAS, इंटरनेशनल लेवल पर भारत का नाम किया रोशन, पढ़ें उनकी कामयाबी की कहानी

UPSC Success Story: यूपीएससी की तैयारी करना और सफल होना अधिकांश छात्रों की  चाह होती है। हालांकि इस परीक्षा में सफल होना भी इतना आसान नहीं होता है। हम आपको एक ऐसे आईएएस अधिकारी की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने साधारण नौकरी करने के बाद न केवल भारत का खेलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन किया, वहीं जिले की भी बागडोर संभाल रहे हैं। बात कर रहे हैं गौतम बुद्ध नगर के डीएम सुहास एलवाई की। कार्यशैली और आत्मविश्वास के चलते चर्चा में रहने वाले 2007 बैच के सुहास एलवाई आईएएस अधिकारी हैं। सुहास एलवाई कई लोगों के लिए प्रेरणा दायक हैं। उन्होंने अपनी सफलताओं से इतिहास रचने वाले कई काम किए हैं। सिविल सेवाओं के तैयारी करने की इच्छा रखने वालों के लिए भी सुहास एलवाई प्रेरणा स्त्रोत हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएएस सुहास एलवाई कर्नाटक के रहने वाले हैं। उनकी शिक्षा की बात करें तो सुरथकल से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। उसके बाद उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर से मास्टर डिग्री हासिल की। सुहास एलवाई का आईएएस बनने की सपना नहीं था। उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होने के बाद ही नौकरी मिल गई थी, लेकिन पिता के देहांत के बाद उनकी दुनिया ही बदल गई। इसके बाद सुहास एलवाई ने यूपीएससी की तैयारी करने की ठान ली। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और आखिरकार 2007 में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर ली। 

दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी बने

सुहास दुनिया के दूसरे नंबर के पैरा बैडमिंटन प्लेयर रहे हैं। जन्म से पैर में दिक्कत होने के चलते भी सुहास ने हार नहीं मानी। वे क्रिकेट भी अच्छा खेलते थे और बैंडमिंटन में भी कोई उन्हें पछाड़ नहीं सकता था। सुहास ने बैंडमिंटन में कई मेडल जीते तो उन्होंने प्रोफेशनल तरीके से बैंडमिंटन खुलना शुरू किया। उन्होंने 2016 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंडमिंटन टूर्नामेंट खेली। हालांकि पहले मैच में वे हार गए, लेकिन इसके बाद उन्होंने हर खिलाड़ी को परास्त कर जीत हासिल की। यही नहीं, उन्होंने पैरांलंपिक प्रतियोगिता में भी शानदार प्रदर्शन किया।

सुहास एलवाई का अब तक का सफर

बता दें कि सुहास एलवाई ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में डीएम के पद पर भी रह चुके हैं। उन्होंने जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर में यह जिम्मेदारी संभाली। इस दौरान उन्होंने कई विकास परियोजनाओं को भी लागू किया। सड़कों की गुणवत्ता में सुधार किए और स्वच्छता सुविधाएं जैसे कई मुद्दों पर काम किया। अच्छे काम करने की वजह से 2015 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ जिलाधिकारी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सुहास एलवाई की सफलता की कहानी खासकर उन लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं, जो अपनी जीवन में कुछ अलग करना चाहते हैं।

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