दिल्ली सरकार ने तीसरी से लेकर आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। इस दिशा-निर्देश के माध्यम से बताया गया है कि दिल्ली के स्कूलों में किस प्रकार मूल्यांकन होगा और वे कौन-सी परिस्थितियां होंगी जब 5वीं और 8वीं के स्टूडेंट्स को अगली कक्षा में पदोन्नति से रोका जा सकेगा। सरकार ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक स्कूल से नहीं निकाला जा सकता है। भारतीय संसद द्वारा शिक्षा के अधिकार अधिनियम में संशोधन कर हर राज्यों को अनुमति दी गई थी कि वे यह निर्धारित कर सकते हैं कि कैसे और किन परिस्थितियों में 'नो डिटेंशन' पॉलिसी से इतर जाते हुए कक्षा 5वीं और 8वीं में विद्यार्थियों को अगली कक्षा में पदोन्नति से रोका जा सकता है।
इस कानून को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार की अकादमिक अथॉरिटी, एससीईआरटी ने एक गाइडलाइन्स जारी की है। यह गाइडलाइन सभी सरकारी स्कूल, स्थानीय निकाय व निजी स्कूलों के लिए जारी किया गया।
इसके अनुसार, कक्षा 5वीं और 8वीं कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए अर्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षा के साथ-साथ को-करिकुलर गतिविधियां भी जरूरी हैं। इसमें को-करिकुलर एक्टिविटीज में प्रोजेक्ट, बच्चों की प्रतिभागिता, स्पोर्ट्स, थिएटर, डांस, म्यूजिक, आदि शामिल हैं।
यहां है कुछ जरूरी गाइडलाइन
- किसी भी छात्र को उनके प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक स्कूल से नहीं निकाला जा सकता।
- प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में कक्षा 5वीं और 8वीं की नियमित परीक्षा ली जाएगी।
- यदि कोई छात्र 5वीं या 8वीं की परीक्षा में फेल हो जाता है तो उसे परिणाम घोषित होने से पहले दोबारा परीक्षा का अवसर दिया जाएगा।
- वहीं कक्षा तीसरी, चौथी, छठी और सातवीं का मूल्यांकन भी कक्षा पांचवीं और आठवीं के परीक्षा पैटर्न के अनुसार ही किया जाअगा।
- कक्षा तीसरी से आठवीं के लिए मध्यावधि परीक्षा (सितंबर या अक्टूबर) और वार्षिक परीक्षा (फरवरी और मार्च) में आयोजित की जाएगी।
- परीक्षा में सवाल का पैटर्न इस हिसाब से किया जाएगा कि बच्चे सवालों का जवाब रट कर नहीं बल्कि समझ के दे सकें। एक तरह से ये भी कह सकते है कि कुछ सवाल Middle Of The Book से भी हो सकते है।
- इंटरनल असेसमेंट के लिए अंकों में उपस्थिति, परियोजना आधारित गतिविधियों, पोर्टफोलियो आदि शामिल है।
क्या है कक्षा 5वीं और 8वीं के लिए नियम ?
- अगली कक्षा में प्रमोट होने के लिए छात्रों को हर एक विषय में कम से कम 33 फीसदी अंक प्राप्त करने होंगे।
- अगर कोई छात्र पुन परीक्षा दे रहा है तो, ये जरूरी है कि ले उस विषय में कम से कम 25 फीसदी अंक प्राप्त करें जिसमें उसने दोबारा परीक्षा दी है।
- अगर कोई छात्र किसी विषय में 100 में से न्यूनतम 33 अंक प्राप्त नहीं कर पाता है तो उसे आवश्यक पुनरावृत्ति की श्रेणी में रखा जाएगा। इस मामले में छात्र को अगले सत्र के दौरान उसी कक्षा में वापस भी रखा जा सकता है।
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